Take a photo of a barcode or cover
376 pages • first pub 2018 (view editions)
ISBN/UID: 9789387462250
Format: Paperback
Language: Hindi
Publisher: राजकमल प्रकाशन
Edition Pub Date: 01 January 2018
Description
अस्सी की होने चली दादी ने विधवा होकर परिवार से पीठ कर खटिया पकड़ ली। परिवार उसे वापस अपने बीच खींचने में लगा। प्रेम, वैर, आपसी नोकझोंक में खदबदाता संयुक्त परिवार। दादी बज़िद कि अब नहीं उठूँगी।फिर इन्हीं शब्दों की ध्वनि बदलकर हो जाती है अब तो नई ही...
Community Reviews
Content Warnings
376 pages • first pub 2018 (view editions)
ISBN/UID: 9789387462250
Format: Paperback
Language: Hindi
Publisher: राजकमल प्रकाशन
Edition Pub Date: 01 January 2018
Description
अस्सी की होने चली दादी ने विधवा होकर परिवार से पीठ कर खटिया पकड़ ली। परिवार उसे वापस अपने बीच खींचने में लगा। प्रेम, वैर, आपसी नोकझोंक में खदबदाता संयुक्त परिवार। दादी बज़िद कि अब नहीं उठूँगी।फिर इन्हीं शब्दों की ध्वनि बदलकर हो जाती है अब तो नई ही...